नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें। बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं https://shiv-chalisa-lyrics-in-gu44813.fliplife-wiki.com/3528820/the_greatest_guide_to_shiv_chalisa_lyrics_in_marathi